मोदी सरकार का बड़ा फैसला : नहीं चलेगी डॉक्टर की मनमानी


इस समय में खासकर लोग ज्यादा बीमार हो रहे हैं लेकिन लोग छोटे डॉक्टर के पास जाते हैं ताकि कम पैसे में राहत मिल सके लेकिन डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएं ही इतनी महंगी होती हैं कि लोग उन्हें लेने के लिए काफी पैसे खर्च कर देते हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मोदी सरकार की ओर से एक बेहद अहम फैसला लिया गया है

मोदी सरकार का बड़ा फैसला : नहीं चलेगी डॉक्टर की मनमानी


दवा लेने की खर्चे में का लगभग 30-80% लाभ सभी लोगों को होगा। तो नेशनल मेडिसिन कमीशन ने इस संबंध में डॉक्टर को एक बेहद अहम आदेश दिया है. तो गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत फायदा होगा.

  • Generic drugs ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 30 से 80% तक सस्ती होती हैं
  • NMC के 2002 के नियमों में किसी जुर्माने का प्रावधान नहीं था

अगर डॉक्टर generic medicine लिखेगा तो क्या लाभ ?


अगर डॉक्टर प्रिस्किप्शन में जेनरिक मेडिसिन लिखेगा तो मरीज को कम से कम 30 से  80 प्रतिशत का दवाई पर खर्च बच जायेगा। 

Generic medicine और Branded Pettren Medicine में क्या है अंतर् ?


अगर हम अंतर् की बात करे आपको दोनों का अंतर् निचे बताया गया है लेकिन अगर अगर मोटा मोटा समजे तो इस दवाई कुछ अधिक ज्यादा अंतर् नहीं होता है 

सरल शब्दों में कहे तो आप Branded Jeans और Normal Jeans में जो अंतर् है वही कहा जा सकता है दोनों काम एक ही है लेकिन एक की कंपनी Market में बहोत नाम है और उसकी का वो ज्यादा पैसा लेता है वही दूसरी Company जो बनाती है अच्छी quality का jeans लेकिन वो सस्ते इसी लिए बेच पाता है क्योंकि मार्किट में Advertiesment / Comission में खर्चा नहीं करना पड़ता।

ब्रांडेड दवा क्या है?

ब्रांडेड दवा वह दवा है जिसे कोई कंपनी अपने नाम से बनाती और बेचती है। दर्द और बुखार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पैरासिटामोल को क्रोसिन नाम से बेचा गया, फिर यह एक ब्रांडेड दवा बन गई। आमतौर पर जब कोई दवा कंपनी किसी नई दवा की खोज करती है तो वह उस दवा को अपने नाम पर पेटेंट करा लेती है और यह पेटेंट लगभग 20 साल तक चलता है। अब जब तक उस दवा का पेटेंट उस कंपनी के पास रहता है, तब तक शोध करने वाली कंपनी को ही उस दवा को बनाने या उस पर आगे शोध करने का अधिकार होता है, जब कोई कंपनी किसी कंपनी से पेटेंट खरीदती है, तभी उसे अधिकार मिलता है दवा का अनुसंधान और निर्माण करना। जो दवा खोजी जाती है उसके लिए रॉयल्टी का भुगतान किया जाता है।


जेनेरिक दवा क्या है?

जब कोई छोटी कंपनी उन्हीं पदार्थों को मिलाकर दवाएं बनाती है तो बाजार में उन्हें जेनेरिक दवाएं कहा जाता है। इन दोनों दवाओं में कोई अंतर नहीं है, सिर्फ नाम और ब्रांड का अंतर है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप किसी छोटी कंपनी से कुछ सामान खरीद रहे हैं। लेकिन दवा बनाने का फॉर्मूला एक ही है. इसलिए Medicine  की quality में कोई अंतर नहीं है. साथ ही, ब्रांडेड कंपनियां अपने पेटेंट समाप्त होने के बाद बनाना शुरू करती हैं। यदि इसे क्रोसिन जैसे ब्रांड नाम के तहत बेचा जाता है, तो यह एक ब्रांडेड दवा बन जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आए दिन होने वाली बुखार, खांसी और बदन दर्द जैसी समस्याओं के लिए जेनेरिक दवा महज 10 Paisa से लेकर 1.50 रुपये प्रति Tablet तक कीमत में मिलती है। जबकि branded medicine में इसकी कीमत 1.50 रुपये से लेकर 35 रुपये तक कीमत पहुंच जाती है.

मुझे जेनेरिक दवा कहां मिल सकती है?

देश में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत जेनेरिक दवाएं बेची जाती हैं

जेनेरिक दवाएं सस्ती क्यों हैं?

सरल भाषा में, कोई कमीशन नहीं और कोई मार्केटिंग खर्च नहीं।

NMC नए नियम क्या है ?

National Medical Commission द्वारा घोषित नए नियमों के अनुसार, सभी डॉक्टरों को मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखनी होंगी। जेनेरिक दवाएं नहीं लिखने पर डॉक्टरों को दंडित किया जाएगा। उनका प्रैक्टिस करने का लाइसेंस भी कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. NMC ने अपने नियमों में सभी डॉक्टरों से ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं न लिखने का आग्रह किया है। वर्तमान में डॉक्टरों को मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखना आवश्यक है, लेकिन 2002 में भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा घोषित नियमों में दंड का कोई प्रावधान नहीं था।

NMC द्वारा 2 अगस्त को घोषित नियमों में कहा गया है कि भारत में अधिकांश लोग स्वास्थ्य देखभाल के लिए दवाओं पर अपनी जेब से खर्च करते हैं। इसमें कहा गया है कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती हैं। इसलिए डॉक्टर मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखते हैं जिससे स्वास्थ्य देखभाल की लागत कम हो जाती है। मरीज को कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण इलाज मुहैया कराया जा सकेगा।

डॉक्टर नहीं मानेगा तो होगा दंड 

नियमों या निर्देशों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर को केवल जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए आगाह किया जाएगा और पेशेवर प्रशिक्षण लेने का आग्रह किया जाएगा। यदि डॉक्टर बार-बार नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो उनका प्रैक्टिस करने का लाइसेंस एक निश्चित अवधि के लिए रद्द कर दिया जाएगा। डॉक्टरों को प्रत्येक नुस्खे को सुपाठ्य तरीके से बड़े अक्षरों में लिखना होगा। किसी भी त्रुटि से बचने के लिए टाइप किया हुआ या मुद्रित नुस्खा लेने की सलाह दी जाती है। एनएमसी ने इसके लिए एक टेम्पलेट बनाया है जिसका उपयोग किया जा सकता है। मरीजों को जेनेरिक दवाएं दी जानी चाहिए जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। वे आवश्यक जेनेरिक दवाओं को स्टॉक करने के लिए अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों को सुझाव दे सकते हैं। मरीजों को केवल जन औषधि केंद्रों के साथ-साथ जेनेरिक मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने की सलाह दी जा सकती है।



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