गुजरात में स्थित इस मंदिर में 1000 लोगों का खाना सिर्फ पांच मिनट में बन जाता है


Bhurakhiya Hanuman Temple भुरखिया ​​हनुमानजी के स्थान के पीछे सैकड़ों साल पुराना इतिहास छिपा है। अयोध्या के संत रघुवीर दासजी की जमात के लगभग 300 खाखी साधु गोलवड़ दरवाजे के बाहर वीरगामा के किनारे मैदान में घूमते थे। एक रात महात्मा दामोदरदासजी स्वतंत्र रात्रि में सो गये। रात में उन्हें एक स्वप्न आया जिसमें उन्हें एहसास हुआ कि दमनगर और लाठी के बीच एक पहाड़ी के साथ एक बड़ा जंगल है, चैत्र पूर्णिमा से पहले वहां पहुंचे और पूर्णिमा की आधी रात को दादा प्रकट हुए।

Bhurakhiya Hanuman Temple

अमरेली जिले के लाठी तालुका के भुरखिया ​​गांव में यह मंदिर चार शताब्दी पुराना है। लोककथाओं के अनुसार, कवि पिंगलशीभाई गढ़वी ने इस मंदिर का दौरा किया था। यहां हिंदू धर्मनी चोयसी का महत्व है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। चैत्र सुद-15 के दिन यहां भाटीगाल-भव्य मेला लगता है।

उस स्थान तक कैसे पहुंचें

Bhurkhiya Hnaumanji Temple भुरखिया ​​हनुमान मंदिर अमरेली से 34 किमी दूर है। और लाठी से 10 कि.मी. बहुत दूर है लाठी अमरेली से दामनगर मार्ग पर 5 और 10 कि.मी. यह मंदिर दूर स्थित है। भुरखिया ​​की लगातार लाठियों से तस्करी हो रही है। इसलिए छड़ी लेकर भुरखिया ​​पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होती और यह जगह दामनगर से 6 किमी दूर है। वहां से वाहनों की सुविधा लगातार जारी रहती है।

एक महत्वपूर्ण दिन

चैत्र मास की पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती यहां का सबसे अच्छा दिन है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पैदल चलते हैं। इस दिन यहां एक बड़ा लोक मेला लगता है। चैत्र माह के दौरान यह मंदिर भक्तों से भर जाता है। इसके अलावा साल के त्योहारों जैसे दिवाली, नूतनवर्ष, होली, रामनवमी आदि के लिए भी तीर्थयात्री यहां आते हैं।

जिला स्तर से दूरी किमी और शुभ दिन

भुरखिया ​​मंदिर जिला स्तर से 34 किलोमीटर की दूरी पर है। मंगलवार और शनिवार सप्ताह के मुख्य दिन हैं। इस दिन लोग दर्शन के लिए अधिक आते हैं।

उपयुक्त समय

भुरखिया ​​मंदिर लाठी से 10 किमी दूर है। बहुत दूर है इस मंदिर के दर्शन साल के हर दिन उपयुक्त समय पर किये जा सकते हैं। बरसात, गर्मी या सर्दी किसी भी मौसम में भुरखिया ​​मंदिर तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होती है। यदि सड़क अच्छी हो और यातायात सुव्यवस्थित हो तो यह पूरे वर्ष अनुकूल माना जाता है।

गुजरात के इस मंदिर में सिर्फ पांच मिनट में बन जाता है 1000 लोगों का खाना! बुलेट ट्रेन की रफ्तार से चलती है गुजरात के इस मंदिर की रसोई, महज पांच मिनट में बन जाता है एक हजार लोगों का खाना भुरखिया ​​हनुमानजी की अत्याधुनिक रसोई देखे।

भुरखिया मंदिर रसोई घर वीडियो: यहां क्लिक करें

मंदिर में भोजन सेवा है। यहां का वातावरण पवित्र और शांत है और यहां का दृश्य मनभावन है। भू का अर्थ है भूमि और रख्य का अर्थ है रक्ष्य का अर्थ है रक्षा करना, इसलिए "भूरखिया" हनुमान नाम उस व्यक्ति से आया है जो भूमि और आसपास के लोगों के जीवन की रक्षा करता है।


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Note :

किसी भी हेल्थ टिप्स को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले. क्योकि आपके शरीर के अनुसार क्या उचित है या कितना उचित है वो आपके डॉक्टर के अलावा कोई बेहतर नहीं जानता


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