गुजरात में कम वोटिंग: किसे होगा फायदा?


 गुजरात की 25 लोकसभा सीटों पर मंगलवार को मतदान हुआ. आंकड़ों के मुताबिक करीब 60 फीसदी वोटिंग हुई है. मतदान के बाद बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने दावे कर रहे हैं. क्या आप भी जानते हैं कि कम वोटिंग से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान?

गुजरात में कम वोटिंग: किसे होगा फायदा?


गुजरात में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 2024 पूरा हो चुका है. चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2014 और 2019 की तुलना में मतदान कम हुआ. भीषण गर्मी के कारण मतदाता पर्याप्त संख्या में मतदान केंद्रों पर नहीं पहुंचे. हालांकि 60 फीसदी वोटिंग के चलते राजनीतिक दल खुद अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. तो फिर गुजरात में इस कम मतदान से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान?...देखें इस रिपोर्ट में....

अधिक वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने कई कोशिशें कीं, लेकिन मतदाताओं में पर्याप्त जागरुकता नहीं आई और मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात में 2014 और 2019 के मुकाबले कम वोटिंग हुई. इस कम मतदान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों दावा कर रहे हैं कि वोट उनके पक्ष में गया है. लेकिन सच्चाई तो 4 जून को नतीजे आने पर पता चलेगी.

प्रतिशत से क्या अनुमान लगाया जा सकता है?

औसत मतदान लगभग 62 या 63 प्रतिशत रहेगा

मतदान का यह आंकड़ा कांग्रेस के लिए शुभ नहीं है

कांग्रेस इस बार 7 से 8 सीटें जीतने की बात कर रही है

बनासकांठा को अपने पक्ष में और अधिक मतदान की उम्मीद है

पोल के आंकड़े कांग्रेस के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं

पिछली 2 लोकसभा की तरह इस बार भी आंकड़ा 50 फीसदी को पार कर गया है

50 फीसदी मतदान भी बीजेपी की जीत तय करता है

50 फीसदी नहीं बल्कि उससे करीब 12 से 13 फीसदी ज्यादा

गुजरात में अनुमानतः 60 फीसदी वोटिंग हुई. जिसमें सबसे ज्यादा वलसाड में 70 फीसदी और सबसे कम अमरेली में 48 फीसदी मतदान हुआ. अब अगर गुजरात में किस लोकसभा चुनाव में कितनी वोटिंग हुई और किसे कितनी सीटें मिलीं, इस पर नजर डालें तो 1999 में 47.3 फीसदी, बीजेपी को 20 और कांग्रेस को 6 सीटें, 2004 में 45.16 फीसदी और बीजेपी को मिलीं. 14 सीटें और कांग्रेस को 12 सीटें, 2009 में 47.89 फीसदी वोटिंग हुई तो बीजेपी को 15 और कांग्रेस को 11 सीटें मिलीं, 2014 में बीजेपी को 63.66 फीसदी वोटिंग हुई, बीजेपी को सभी 26 सीटें मिलीं, 2019 में 64.51 फीसदी वोटिंग हुई तो बीजेपी को सभी 26 सीटें मिलीं. प्रतिशत. अब 2024 में अनुमानतः 60 फीसदी वोटिंग हुई है. तो देखना ये है कि फायदा किसे होता है.

वर्ष मतदान भाजपा की सीटें कांग्रेस की सीटें

1999 47.03 प्रतिशत 20 06

2004 45.16 प्रतिशत 14 12

2009 47.89 प्रतिशत 15 11

2014 63.66 प्रतिशत 26 00

2019 64.51 प्रतिशत 26 00

किसे फायदा और कितना नुकसान ये वोटिंग प्रतिशत से साफ पता चलता है. गुजरात में जब मतदान प्रतिशत 50 फीसदी से कम था तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीटें बराबर थीं, लेकिन जब मतदान प्रतिशत 50 फीसदी से ऊपर चला गया तो बीजेपी को सीधा फायदा हुआ. 2014 और 2019 उदाहरण हैं. गुजरात में इस बार भी वोटिंग का आंकड़ा 50 फीसदी से ऊपर चला गया है. तो अब हम समझ सकते हैं कि फायदा बीजेपी के पक्ष में ज्यादा है.

प्रतिशत से क्या समझा जा सकता है?

50 फीसदी से कम मतदान के चलते बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीटें बराबर हो गईं. जब वोटिंग 50 फीसदी से ऊपर हुई तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ. 2014 और 2019 के चुनाव इसका उदाहरण हैं. गुजरात में इस बार भी वोटिंग का आंकड़ा 50 फीसदी से ऊपर चला गया है.

चुनाव आयोग ने अभी तक वोटिंग प्रतिशत का स्पष्ट आंकड़ा नहीं दिया है. इस आंकड़े तक पहुंचने में अभी एक दिन और लगेगा. मौजूदा मतदान प्रतिशत में दो से तीन फीसदी का इजाफा हो सकता है. अनुमान लगाएं तो एक बार फिर गुजरात में औसत मतदान 62 या 63 फीसदी के आसपास रहेगा. ये आंकड़ा कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं है. भले ही कांग्रेस इस बार गुजरात में 7 से 8 सीटें जीतने की बात कर रही है, बनासकांठा में अधिक मतदान की उम्मीद कर रही है, लेकिन राज्य में कुल औसत मतदान कांग्रेस के पक्ष में नहीं दिख रहा है। क्योंकि, पिछले दो लोकसभा चुनावों की तरह इस बार एक बार फिर गुजरात में औसत मतदान 50 फीसदी से ज्यादा हो गया है. गुजरात के मतदाताओं का 50 फीसदी मतदान भी बीजेपी की जीत तय करता है. यहां 50 फीसदी नहीं बल्कि उससे करीब 12 से 13 फीसदी ज्यादा है. यह मतदान प्रतिशत और पिछले मतदान का इतिहास कांग्रेस के सपनों पर पानी फेर सकता है। हालाँकि ये सभी अभी अटकलें हैं, वास्तविक परिणाम के लिए हम सभी को 4 जून तक इंतजार करना होगा।



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Note :

किसी भी हेल्थ टिप्स को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले. क्योकि आपके शरीर के अनुसार क्या उचित है या कितना उचित है वो आपके डॉक्टर के अलावा कोई बेहतर नहीं जानता


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